10 september 2008
मैं कौन हूँ?
मैं क्यो हूँ?
मेरे आने का कारण क्या है?
कितने बौद्धिक और अध्यात्मिक से लगते है ये सवाल!...... नही?
जब जब तथाकथित बुद्धीजीवी हम जैसे मूढ़ प्राणियो को संसार का सार समझाने में अपने आपको असमर्थ पाते हैं तब तब दाग दिए जाते हैं ऐसे ही वज़नदार अध्यात्मिक से लगनेवाले प्रश्न हम पर!
लेकिन क्यो?
क्या इन सवालो का कोई महत्व है?
क्या हम और हमारे ब्रह्माण्ड की सभी जड़ और चेतन बस्तुएं आदिकाल से निरंतर चलनेवाली सृजन और संहार क्रिया की उपज नही?
क्या हमारा जनम या मरन पे कोई अधिकार है? क्या हम जन्म या मृत्यु का समय, स्थान, रूप चुन सकते है?
नही ना?
फिर क्यों भटकते है इन फालतु से सवालो के साथ?
हम आज है -यह सत्य है, हम एकदिन नही होंगे- यह अटल सत्य है !
हमारा जन्म महज़ एक प्रक्रिया है. किसी विशेष योजना या उददेश्य के तहत किया ग़या सृजन नही!
ब्रह्माण्ड की उतपत्ति का रहस्य समझने में लग़े है हजारों साईंसदा अपने अपने तरीकों से
हम क्यो परेशान हों?
सुना है ,संसार की सारी बस्तु सुझ्मतम अणुओं के जोड़ से बनी है, हर बस्तु का निर्माण एक बिन्दु (उतक्) से शुरू होता है और यही उतक् बारम्बार स्वखंडित होकर उस बस्तु को उसका निर्धारित आकार देते है अगर परिस्तिथीयाँ अनुकूल हो तो यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक चरम अवस्था प्राप्त न कर ले, और फिर शुरू होती है उलटी गिनती, उतक़् क्रमवार निस्क्रिय हेकर प्राप्त होते है अपनी नियती को
हम कहाँ होते हैं इन सारी exercise के बीच ?
यह संसार रहस्यों से भरा है
कहते हैं हम ब्रह्माण्ड का चार प्रातिसत ही देख पाते हैं. शेष अंजाना है
ऐसा लगता है जैसे किसी ने कण कण में मिक्रोचिप्स लगा रखी हो - अनजाने नियमो के तहत सब कुछ अपने आप हो रहा है-सूर्य स्थिर है, बाकि ग्रह अपनी परिधि मैं अपने आप घूम रहे हैं , हवाएं अपनी गति और दिशा ख़ुद तय करती है , हम नही जानते बरसात किसी साल कम और किसी साल ज्यादा क्यों होती है! एक बिन्दु से एक जीव अपनी सारी विशेषताओं के साथ कैसे बिकसीत होता है? जब हम एक ही तरह के पदार्थ से बने हैं और एक ही प्रक्रिया से गुजरकर पुर्णता प्राप्त करते हैं तो इतने अलग-अलग क्यों होते हैं? इतनी बिसंगातियाँ क्यों होती है ?
क्या फिर भी " मैं कौन हूँ " जैसे प्रश्नों का कोई औचित्य रह जाता है.........???
मुसीबतें भी अलग अलग आकार की होती है
1 year ago
1 comment:
Bravo! accept my congratuations for taking the first step.
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